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पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत को मिला आठवां मेडल: योगेश कथुनिया का डिस्कस थ्रो में सिल्वर

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत को मिला आठवां मेडल: योगेश कथुनिया का डिस्कस थ्रो में सिल्वर

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय एथलीट योगेश कथुनिया ने देश को गर्वित किया है। उन्होंने डिस्कस थ्रो में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल जीता, जो इस पैरालंपिक में भारत का आठवां पदक है। योगेश ने अपने शानदार प्रयास से 42.22 मीटर का थ्रो किया, जिससे उन्हें इस प्रतिष्ठित इवेंट में दूसरा स्थान हासिल हुआ। उनके इस अद्भुत प्रदर्शन ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे देश को गर्व से भर दिया है।

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योगेश कथुनिया की प्रेरणादायक यात्रा

योगेश कथुनिया की यात्रा अद्वितीय और प्रेरणादायक है। उनका सफर कई संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। बचपन में उन्हें सेरेब्रल पाल्सी नामक एक गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा, जिसने उनकी शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित किया। लेकिन योगेश ने इसे अपने सपनों के रास्ते में आने नहीं दिया और इसे अपनी ताकत में बदल दिया।

कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने खेल के प्रति अपनी लगन और दृढ़ता को बनाए रखा। डिस्कस थ्रो में उनका करियर 2017 में तब शुरू हुआ जब उन्होंने पहली बार इस खेल में हिस्सा लिया। अपने पहले ही प्रयास में, योगेश ने अपने प्रदर्शन से सभी को चौंका दिया। इसके बाद, उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और पदक जीते।

पेरिस पैरालंपिक 2024: एक नया मील का पत्थर

पेरिस पैरालंपिक 2024 में योगेश का प्रदर्शन उनके कठिन परिश्रम और समर्पण का प्रमाण है। उन्होंने पहले ही दौर में अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए 42.22 मीटर का थ्रो किया, जो उनकी व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि थी।

हालांकि, ब्राजील के एथलीट बतिस्ता डॉस सैंटोस क्लॉडनी ने 46.86 मीटर के थ्रो से गोल्ड मेडल जीता, लेकिन योगेश के सिल्वर मेडल ने भी भारत के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा।

भारत के लिए पैरालंपिक में आठवां पदक

योगेश का यह सिल्वर मेडल भारत के लिए पेरिस पैरालंपिक 2024 में आठवां पदक है। इस पैरालंपिक में भारत के एथलीटों ने अब तक एक गोल्ड, तीन सिल्वर, और चार ब्रॉन्ज पदक जीते हैं। यह उपलब्धि भारत के पैरालंपिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि यह दर्शाता है कि हमारे एथलीट किस तरह से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बना रहे हैं।

भारत के खेलों में नया युग

योगेश कथुनिया जैसे खिलाड़ियों की उपलब्धियां यह दिखाती हैं कि भारत में खेलों का एक नया युग शुरू हो चुका है। अब न केवल ओलंपिक में बल्कि पैरालंपिक में भी भारतीय एथलीटों की संख्या और सफलता में वृद्धि हो रही है।

सरकार द्वारा पैरालंपिक खेलों को समर्थन देने और खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं और प्रशिक्षण प्रदान करने के प्रयासों ने भी इन सफलताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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पैरालंपिक खेलों का महत्व

पैरालंपिक खेल न केवल खिलाड़ियों के लिए एक मंच है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी है। इन खेलों में भाग लेने वाले एथलीट अपनी शारीरिक और मानसिक चुनौतियों को पार करके यह साबित करते हैं कि सीमाएं केवल मानसिक बाधाएं हैं।

योगेश कथुनिया की सफलता यह दिखाती है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होत

योगेश कथुनिया ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया है। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि भारत के खेल इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

उनकी यह यात्रा और उपलब्धि यह सिखाती है कि जीवन में किसी भी कठिनाई के सामने हार मानना नहीं चाहिए। योगेश कथुनिया ने अपने संघर्षों को अपनी ताकत में बदल दिया और आज वे पूरे देश के लिए गर्व का कारण बने हैं।

उनकी इस सफलता के लिए भारत के सभी नागरिक उनकी सराहना कर रहे हैं और भविष्य में उनसे और भी बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद कर रहे हैं।

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पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के सभी एथलीटों के प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि भारत पैरालंपिक खेलों में एक उभरता हुआ सुपरपावर बन रहा है। योगेश कथुनिया की यह जीत न केवल एक पदक है, बल्कि एक नई उम्मीद, एक नया सपना, और एक नए भारत की तस्वीर है।

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